मधूलिका और दिव्या की जवानी

प्रिय पाठकों.. इस वेबसाइट पर ये मेरी पहली कहानी है,, आशा है आप सभी इसे पसंद करेंगे.
 
बात उन दिनों की है जब मैं क्लास १२ में पढ़ा करता था. क्लास का सबसे तेज़ स्टुडेंट होने के नाते क्लास की साड़ी लडकियाँ मेरे आगे पीछे घूमा करती थीं. लेकिन स्कूल के माहौल की वजह से वहाँ मुझे कभी किसी लड़की  के साथ कुछ करने का मौका नहीं मिला  था. इस बात की मुझे थोड़ी तकलीफ होती थी लेकिन फिर भी मैं वहां पे सेक्स का स्वाद  चखने की ताक में रहता था. स्कूल के सभी टीचर्स मुझे जानते थे और एक बहुत ही शरीफ  बच्चा मानते थे..मेरे क्लास में सारी लडकियां ही बहुत माल थीं लेकिन उनमे से एक लड़की जिसका नाम मधूलिका था,उसकी जवानी मुझे बहुत ही नशीली लगती थी,, उसके गोरे गोरे गाल, लाल लाल होंठ और आम के जैसी चूचियां  देखकर मेरा क्या, किसी साधू का लंड भी हिलोरें लेने लगता. मैं तो उसे देखते ही उसके साथ सम्भोग करने की कल्पना करने लगता था और ऊपर वाले से ये कहता था की "एक बार दिला दे भगवान्..."
अप्रैल का महीना था और स्कूल का एनुअल फंक्शन होने वाला था.  क्लास टीचर ने अपने क्लास के लिए मुझे और एक दिव्या नाम की लड़की, जो देखने में ठीक ठाक ही थी, को प्रोग्राम की तैयारी करवाने का काम सौंपा. लेकिन इस बीच भी मेरा मन मधूलिका की रसीली जवानी के बारे में ही सोच रहा था.. मैंने ज़बरदस्ती दिव्या से कह कर उस्सका नाम सबसे पहले प्रोग्राम में लिखवा दिया. वो भी प्रोग्राम के लिए मान गयी. रोज़ रोज़ हम लोग प्रैक्टिस करते लेकिन मौके पे चौका लगाने का मौका नहीं मिल पा रहा था...फ़ाइनल  प्रोग्राम के  दिन पहले जब सारे टीचर्स  प्रोग्राम को देख रहे थे तब मैंने हिम्मत जुटाई और सोच लिया की अगर आज मैंने कुछ नही किया तो आज के  बाद कुछ नही हो पायेगा क्यूँ की छुट्टियां होने वाली थीं. मैंने दिव्या से कह कर उस्सका प्रोग्राम अनाउंस  करने की बात कही .मधूलिका उस दिन तो कहर ढा रही थी... लाल लहंगे चोली में चोली से झांकते हुए उसके दो स्तन बहुत ही उत्तेजक लग रहे थे. मैं जल्द से जल्द उसका  प्रोग्राम ख़त्म होने की ताक में था, जैसे ही उसका प्रोग्राम खत्म हुआ वो स्टेज  के पीछे वाले kamre  में, जो कि चेंजिंग  रूम था,चली गयी.. यही मौक़ा था. मैं  दिव्या को ढूँढने के बहाने से वहां पहुंचा और सीधा चेंजिंग रूम में घुस गया वहाँ दिव्या तो थी नहीं लेकिन मधूलिका वहीं पे अपने कपडे बदल रही थी ,मैंने अनजान बनते हुए दिव्या को ढूँढने का बहाना किया और मधूलिका के और पास चला गया ,,यह मेरा सेक्स का पहला अनुभव था इस लिए मेरे लंड में लहरें उठने लगीं.. वो उस टाइम अपना लहंगा बदल रही थी,, मुझे देख वो खडी हो गयी और अनजाने में लहंगा उसके हाथ से छूट  गया. फिर क्या था, मेरे सामने दो नंगी गोरी गोरी जांघें थीं और उन जाँघों के बीच में उसकी वो पारदर्शी पैंटी दिख रही थी.. उसकी गोरी चूत उसकी पैंटी में से साफ़ झलक रही थी..मैंने झपट के उसे अपनी बाहों में भर लिया.. वो थोडा कसमसाई और बोली-" क्या कर रहे हो..?? कोई आ जायेगा.. " मैंने कहा- "आज कोई भी आ जाए पर आज तुम्हें ऐसे ही जाने नहीं दूंगा जान!!!"  ये सुनकर वो कुछ नहीं बोली और मुस्कुरा दी.. मैंने उसकी ब्रा और पैंटी उतार दी  और उसकी चूचियों को अपने हाथ में लेकर खूब रगडा और चूसने लगा. ... वो भी गरम होने लगी और सिसकियाँ लेने लगी.. आज मेरी मन की मुराद पूरी हो रही थी इसलिए  मैं कुछ भी करने को तैयार था.. मैंने धीरे धीरे उसकी जवान चूत को चाटा और चुदने के लिए तैयार किया. वो और गरम हो गयी और आहें  भरने लगी. मैंने  उसे वहीँ लिटाया और उसकी कुंवारी  चूत में अपना लंड घुसाने लगा,, लेकिन सील  टूटी न होने कि वजह से वो बाहर ही रह गया... तब मैंने थोड़ा तेल अपने लंड पे लगा कर तेजी से उसकी चूत पे धक्का दिया,, बस फिर क्या था,, वो चिल्ला उठी ,, फट जायेगी,,,बहुत दर्द हो रहा है...लेकिन मैंने उसकी एक ना सुनी और धक्के लगाता रहा..थोडा खून भी निकला लेकिन  फिर वो भी एन्जॉय करने लगी इस तरह मैंने उसे तकरीबन १५ मिनट तक चोदता रहा.. मुझे पता था कि पहली बार के सेक्स में कोई ज्यादा देर तक नहीं टिक पाता इसलिए मैं पहले ही दवा खा कर तैयार था...
उधर दिव्या को मैंने यह सब बता रखा था इसलिए  उसने सबको रोक कर रखा था लेकिन ये राज़ छुपाने के बदले में उसने मुझसे  खुद  को चोदने की  शर्त राखी  थी, जो मैंने मान ली थी,,, एक साथ दो चूत जो मिल रही थी.. मैं लगभग २५ मिनट तक मधूलिका को चोदता रहा और वो सिसकियाँ ले ले कर चुदती रही...तभी अचानक इस कमरे का दरवाज़ा खुला .. मैंने देखा ...सामने दिव्या खडी थी..उसने मुस्कुराते हुए मुझे नंगा देखकर कहा ,,काम अभी पूरा नही हुआ?? मैंने जवाब में हाँ में सर हिलाया.. तब उसने मधूलिका की खून से भीगी चूत की  तरफ देखकर कहा कि लगता है कि कुछ ज्यादा ही पूरा हुआ है..फिर क्या था,,, मैंने तकरीबन १० मिनट तक दिव्या को भी चोदा  और वो उछल उछल के चुदती रही...आज मेरा बहुत बड़ा सपना पूरा हो गया था...फिर मैंने अपना लंड एक एक करके दोनों के मुंह में दिया और अपना बीज उनके मुंह में ही गिरा दिया...
उधर स्टेज से दोनों ही को-ऑर्डिनेटर(मैं और दिव्या)  गायब थे, और माइक  पे उन्हें ही बुलाया जा रहा था... ये आवाज़ जैसे ही हमारे कानों में पडी हमने थोड़ी भी देर नहीं की,, मधूलिका और दिव्या ने झट से अपनी चूत पोंछ कर मुंह धोया और कपडे पहने,, और हम तीनो लोग ही तीन  तरफ से स्टेज पे बारी बारी से पहुंचे,,,   भगवान् का शुक्र है कि हममें  से कोई भी चुदाई के वक़्त पकड़ा नहीं गया ,, हाँ बस मधूलिका कि चूत कुछ ज्यादा ही सूज गयी थी..खैर  धीरे धीरे सब ठीक हो गया..
आज मधूलिका की शादी हो चुकी है और दिव्या की भी.. लेकिन फिर भी मैं उन्हें अकेले में मिलने का कोई मौका नहीं छोड़ता...और मिलना तो होता ही चुदाई के लिए है जनाब...मगर उन दोनों की पहली चुदाई की बात बस हम तीनों को ही पता थी .. मैं, दिव्या और मेरी प्यारी मधूलिका ...
                      
दोस्तों,, ये कहानी आप को कैसी लगी,, ये ज़रूर बताइयेगा
 
खुश रहिये, मुस्कुराते रहिये और चोदते रहिये....